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फसल बीमा योजना

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

भारत सरकार द्वारा लागू की गई किसानों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं (Important Agricultural schemes for farmers implemented by Government of India in Hindi)

हम जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की लगभग 60% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और इसी से ही उनका जीवन यापन चलता है। 

इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई गई। जिससे किसानों की लागत कम लगे और किसानों की आय में वृद्धि हो सके। इन योजनाओं के माध्यम से किसानों को खेती में आने वाली समस्याएं कम होगी।

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए जरुरी योजनाएं

भारत सरकार द्वारा चलाई गई इन योजनाओं के माध्यम से किसान खेती बहुत ही आसानी और आधुनिक ढंग से कर सकेगा। आइए हम आपको भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी देते हैं।

1. पीएम किसान सम्मान निधि योजना :-

भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए लागू की गई योजनाओं में से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi ) एक महत्वपूर्ण योजना है। 

इस योजना के तहत भारत के किसानों को साल में ₹6000 दिए जाते हैं जो कि ₹2000 की 3 किस्तों में दिए जाते हैं। योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में की गई थी। 

इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा अभी तक कुल 11 किश्तें जारी हो चुकी है। इस योजना के चलते भारत के किसानों की अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत मदद मिली है।

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2. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना :-

इस योजना के माध्यम से भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है। योजना में सरकार द्वारा उन किसानों के लिए पेंशन की व्यवस्था की गई है जो बुढ़ापे में असहाय हो जाते हैं और दूसरों पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में जो किसान 60 वर्ष से अधिक की उम्र के हैं उन्हें सरकार न्यूनतम ₹3000 पेंशन देती है। “पीएम किसान मानधन योजना” का लाभ उठाने के लिए किसान को 60 वर्ष की आयु तक प्रतिवर्ष 55 से ₹200 तक जमा करने होते हैं। 

60 वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद किसान को पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी को 50% पेंशन दी जाएगी।

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3. पीएम कुसुम योजना :-

आजकल गांव में बिजली की समस्या बहुत ही गंभीर है। ऐसे में किसानों को समय पर बिजली ना मिल पाने के कारण उनकी फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता जिससे फसलें में खराब हो जाती हैं। 

किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा पीएम कुसुम योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल्स खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। जिससे किसान बिजली संबंधी अपनी समस्या को दूर कर सकें।

4. जैविक खेती योजना :-

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया गया है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में किसान कई प्रकार के रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। 

जिसकी वजह से किसानों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के कई प्रयास किए जा रहे हैं इसके लिए भारत सरकार ने जैविक खेती योजना शुरू की। इस योजना में जो कृषक जैविक खेती करते हैं उसको सरकार द्वारा इनाम दिया जाता है।

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5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-

खेती करना किसानों के लिए आसान नहीं होता। खेती में किसानों को कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। 

इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, बाढ़, तेज आंधी के कारण किसान की फसलें नष्ट हो जाती है जिससे उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

इन सब समस्याओं के कारण सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana MINISTRY OF AGRICULTURE & FARMERS WELFARE) लागू की गई है जिसके माध्यम से किसान को फसलों के लिए पीना की सुरक्षा मिलती है।

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सरकार द्वारा योजना लागू करने का उद्देश्य :-

हमारे देश में विभिन्न प्रकार के किसानों रहते हैं। सभी किसानों की आर्थिक स्थिति एक जैसी नहीं है इसके चलते कुछ किसान अमीर और कुछ किसान बहुत अधिक गरीब है। 

इन्हीं समस्याओं के कारण भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना चलाई गई हैं। जिसके माध्यम से सभी प्रकार के किसान अपने खेतों में अच्छी से अच्छी फसल उगा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को क्या है फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मकसद है की जो भी किसान फसल नुकसान से जूझ रहे है, उन्हें आर्थिक मदद देकर उनका हौसला कायम रखे. किसानों को आधुनिक उपकरणों के इस्तमाल के लिए प्रेरित करना. 

इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए छत्तीसगढ़ के कृषि और जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने फसल बीमा जागरूकता सप्ताह कि शुरुआत की. 

जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर 15 जुलाई तक किसानों को फसल बीमा योजना के बारे में बताने के लिए और ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस बीमा योजना से जोड़ने के लिए रवाना किया गया है. 

15 जुलाई तक जागरूकता रथ पूरे राज्य में भ्रमण कर किसानों को बीमा योजना से जुड़ने के लिए जागरूक करेगा. रविद्र चौबे जी के अनुसार 2021-22 में 1063 करोड़ बीमा दावा राशि का भुगतान राज्य के 5 लाख 66 हजार किसानों को मिला.

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किसानों को कितने प्रीमियम में कितना मिल चुका है लाभ ?

डेढ़ लाख किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले उनके द्वारा दी गई प्रीमियम 15 करोड़ 96 लाख रुपए की एवज में 304 करोड़ 38 लाख की क्लेम राशि भुगतान की गई. 

4 लाख से अधिक किसानों को 157 करोड़ 65 लाख रुपए के प्रीमियम के एवज में 758 करोड़ 43 लाख तक का क्लेम भुगतान किया गया.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए प्रीमियम कितना देना होगा ?

इस बीमा योजना में किसानों को बीमा प्रीमियम का सिर्फ डेढ प्रतिशत राशि देनी होती है. जबकि मौसम पर आधारित फसल जैसे की बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि का देना होता है और बाकी बचा हुआ सरकार देती है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन कैसे करें ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन करने के लिए आपके पास दो तरीके है :- 

1. ऑनलाइन आवेदन  ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको pmfby.gov.in में जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा. 

2. ऑफलाइन आवेदन ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपको कृषि विभाग जाकर फॉर्म लेना होगा और वही भरकर देना होगा.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए जरूरी दस्तावेज

ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करने के लिए आपके पास बैंक खाता, खेत का खसरा नंबर, पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड, आवेदनकर्ता की पासपोर्ट साइज फोटो, आवेदनकर्ता का निवास प्रमाण पत्र, यदि खेत किराए पर है तो मालिक के साथ इकरार नामा की कॉपी, फसल बुआई शुरू किए हुए दिन की तारीख, ये सारे दस्तावेज आपके पास होने आवश्यक है.  

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

कृषि मंत्री तोमर ने सदन में दी जानकारी : बीमा दावे पर 1.19 करोड़ का भुगतान किया

बीमा कंपनियों को 40 हजार करोड़ की कमाईः मीडिया रिपोर्ट्स

खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें विभन्न प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं। कृषि फसल को प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी वजह से हुए नुकसान आदि के कारण, किसान को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजना भी, इन्हीं कृषि प्रोत्साहन योजनाओं में से एक योजना है।

पीएमएफबीवाई (PMFBY)

केंद्रीय स्तर पर संचालित, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY) से भी देश के किसानों के आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्रबंध करने केंद्र सरकार ने सुविधा प्रदान की है। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते पांच सालों के दौरान कंपनियों से ज्यादा भला कृषि बीमा करने वाली कंपनियों का हुआ है। इन मीडिया रिपोर्ट्स को कृषि मंत्री द्वारा प्रस्तुत जानकारी के बाद बल मिला है। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2016-17 से 2021-22 के कालखंड में, कृषि बीमा करने वाली विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।


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इतनी कंपनियां करती हैं बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत बीमा सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 18 बीमा कंपनियों को काम सौंपा है। इन कंपनियों का काम किसानों को प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल के नुकसान के लिए बीमा राशि के रूप में नियमानुसार जरूरी वित्तीय मदद प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

भारत सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि बीमा के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक बीमा कंपनियों के पास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत डेढ़ लाख करोड़ (कुल 159,132) रुपए से अधिक की प्रीमियम राशि जमा की गई थी। उन्होंने बताया कि, किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा संबंधी दावे के लिए 119,314 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया। आपको बता दें कि, इस योजना से जुड़े किसानों को मामूली प्रीमियम जमा करना पड़ता है।

4190 रुपए प्रति हेक्टेयर

एक समाचार माध्यम ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब पर न्यूज रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत खरीफ 2021-22 सीजन तक किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा के दावों के भुगतान के रुप में 4190 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से बीमा राशि का भुगतान किया गया।

साल 2020 में बदले नियम

बीते 6 साल पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में वर्ष 2020 में बदलाव किया गया था। इस बदलाव के तहत अब किसान अपनी स्वैच्छिक भागीदारी से भी योजना में जुड़ सकते हैं।


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72 घंटे का समय

योजना के पात्र किसान को फसल के नुकसान की सूचना संबंधित पात्र केंद्र अथवा अधिकारी तक पहुंचाने के लिए समय निर्धारित किया गया है। नुकसान प्रभावित किसान को इस योजना के तहत फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से नुकसान के 72 घंटों के अंदर फसल नुकसान की सूचना प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया से किसानों को हुए नुकसान के बारे में फसल बीमा का दावा करने में आसानी हुई है। योजना की खास बात यह भी है कि इसमें दावा राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाता है।

इतना प्रीमियम भुगतान

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में फसल बीमा कराने के इच्छुक किसान को खरीफ फसल की बीमा राशि का दो प्रतिशत अदा करना होता है।
  • रबी फसल के लिए यह राशि और कम है। रबी की फसल के लिए किसान को 1.5 फीसदी बीमा राशि का भुगतान करना होगा।
  • बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों के बीमा के लिए किसान को प्रीमियम बतौर 5 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा।
पीएमएफबीवाई के राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) से कृषि बीमा कार्य को और आसान बनाने की कोशिश सरकार ने की है। फसल बीमा मोबाइल ऐप नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाता है। एनसीआईपी इसके अलावा प्रीमियम प्रेषण, भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण आदि में भी किसान के लिए मददगार है।
फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

फसल बीमा योजना में कम रुचि ले रहे हैं यूपी के किसान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसान फसल बीमा योजना में कम ही रूचि ले रहे हैं। कम्पनियां फसल नुकसान के आंकलन से किसानों को क्षतिपूर्ति देने में मनमानी करती हैं। अभी तक रबी की फसल की क्षतिपूर्ति के 4.87 करोड़ रुपए किसानों को नहीं दिए गए हैं। यही कारण है कि प्रदेश के किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर भरोसा लगातार कम होता जा रहा है। भले ही कृषि विभाग किसानों को फसल बीमा योजना के लिए प्रेरित कर रहा है। लेकिन फसल बीमा योजना से किसानों का मोहभंग हो चुका है। राज्य सरकार का मानना है कि इस बार मौसम की विपरीत परिस्थितियों के चलते, किसानों को फसल बीमा योजना में पंजीकरण कराना चाहिए। खरीफ की फसल के लिए बीमा योजना की अंतिम तिथि 31 जुलाई रखी गई है, जिसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग बीमा बढ़ाने के लिए लगातार अपील कर रही है।

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इन परिस्थितियों में किसानों को मिलता है फसल बीमा योजना का लाभ

- किसान की फसल की बुवाई 75 फीसदी से कम रह जाती है। तो किसानों को बीमा का 75 प्रतिशत भुगतान करके बीमा कवर को समाप्त कर दिया जाता है। वहीं अगर फसल समय निकलने के बाद खराब होती है तो भी बीमा का का क्लेम नहीं मिलता है। अगर बुवाई और कटाई के 15 दिन के अंदर फसल पर देवीय आपदा आ जाए, तो नियमानुसार फसल की उपज का 25 प्रतिशत लाभ तत्काल दिया जाएगा। और 15 दिनों में सर्वेक्षण पूरा किया जाएगा। और अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का समायोजन खाते में किया जाएगा।

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72 घंटों के अंदर नुकसान की सूचना दर्ज कराएं।

- फसल बीमा कराने वाले किसान अपनी फसल में नुकसान होने के 72 घंटों के अंदर अपनी सूचना दर्ज कराएं। इसकी सूचना टोल फ्री नम्बर या लिखित रूप से कृषि विभाग, बीमा अधिकारियों अथवा राज्य सरकार को दर्ज कराएं।

जलभराव वाली धान की फसल बीमा कवर से हटाई

- धान की फसल जलभराव वाली खेती है। सरकार ने धान की फसल को बीमा कवर योजना से बाहर कर दिया है। क्योंकि धान की फसल में जलभराव के चलते नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है।
अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

बदलते हुए मौसम के कारण आजकल मानसूनी गतिविधियों में तेजी से बदलाव आ रहा है, अब कहीं जरुरत से ज्यादा बरसात हो रही है तो कहीं सूखे का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस साल भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गई है, जिसके कारण आम लोगों के साथ-साथ किसानों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान बहुत सारे किसानों की कई एकड़ फसलें पानी में डूब गईं, जिसके कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों को होने वाले नुकसानों को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों के हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी, जिसके अंतर्गत किसान अपनी फसल का मामूली प्रीमियम भरकर बीमा करवा सकते हैं। अगर उनकी फसल किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा की वजह से खराब हो जाये या पूरी तरह से नष्ट हो जाए, तो किसान संबंधित बीमा कम्पनी से अपनी फसल के बीमा का क्लेम भी मांग सकते हैं, जिसके बाद संबंधित बीमा कंपनी किसान को हुए नुकसान की भरपाई करेगी।


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क्या है कृषि बीमा करवाने की प्रक्रिया

कृषि बीमा करवाना बेहद आसान है। इसके लिए किसानों को किसी भी बैंक या बीमा कंपनी के बार-बार चक्कर लगाने की जरुरत नहीं है। यदि किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है या किसी किसान ने बैंक से पहले से ही लोन ले रखा है, तो उनके लिए यह प्रक्रिया और भी ज्यादा आसान हो जाती है। बीमा करवाने के लिए किसान को बैंक में जाकर एक फॉर्म भरना होगा, जिसके बाद फॉर्म के साथ आधार कार्ड, जमीन से संबंधित कागजात और वोटर आईडी की फोटो कॉपी लगानी होगी, इसके साथ ही पटवारी द्वारा जारी खेत में बोई गई फसल का ब्यौरा भी जमा करना होगा। यह सब बैंक में या बीमा कम्पनी में जमा करने के बाद किसान का बीमा बेहद आसानी से हो जाएगा।

कैसे क्लेम करें कृषि बीमा की राशि ?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कृषि बीमा दो प्रकार से क्लेम किया जा सकता है, पहले में यदि फसल पूरी तरह से खराब हो जाये या नष्ट हो जाये तो किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। और दूसरे में यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हो जाये या कम मात्रा में खराब हो तो भी किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकता है। यदि फसल किसी प्राकृतिक आपदा से नष्ट होती है, जैसे - बाढ़, भीषण बरसात, ओले गिरना इत्यादि तो किसान को यह क्लेम लेने के लिए संबंधित बैंक या बीमा कंपनी में आवेदन करना पड़ता है। इसके साथ ही किसान को 72 घंटों के भीतर प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हुई फसल की जानकारी कृषि विभाग को देना अनिवार्य होता है। इस जानकारी में बीमा की फोटो कॉपी के साथ ही फसल का पूरा ब्योरा फॉर्म में भरना पड़ता है। वहीं यदि किसान की फसल आंशिक रूप से खराब हुई तो किसान को इसकी जानकारी कहीं देने की जरुरत नहीं है। बीमा कम्पनी या बैंक से सिर्फ क्लेम करने पर, सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी नुकसान की राशि किसान के बैंक खाते में जमा कर देती हैं।


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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सभी फसलों के नष्ट होने पर अलग-अलग बीमा राशि सम्बंधित बैंक या बीमा कम्पनी के द्वारा किसानों को दी जाती है। उदाहरण के लिए - यदि किसान की कपास की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 36,282 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। वहीं अगर किसान ने अपने खेत में धान बोया है और धान की खेती प्राकृतिक आपदा की वजह से नष्ट हो गई है, तो किसान को 37,484 रुपये प्रति एकड़ की दर से बीमा राशि मिलेगी। इसी तरह से बाजरा, मक्का और मूंग की फसल के लिए क्रमशः 17,639 रुपये, 18,742 रुपये और 16,497 रुपये प्रति एकड़ की दर से किसानों को बीमा राशि प्रदान की जाएगी।
खुशखबरी: इस राज्य के लाखों किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता

खुशखबरी: इस राज्य के लाखों किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता

महाराष्ट्र राज्य के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने प्रदेश में करीब १६ लाख से ज्यादा किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि पांच दिनों के अंतराल में किसानों के लिए सहायक धनराशि उनके बैंक खातों में भेज दिया जायेगा। बतादें कि मूसलाधार बारिश एवं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से प्रदेश के किसानों की फसल में बेहद नुक़सान हुआ है। प्रदेश के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार का कहना है, कि १६ लाख ८६ हजार ७८६ किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये का मुआवजा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने हाल में की, बची हानि से आहत किसानों को १६४४ करोड़ रुपये की सहायक धनराशि अतिशीघ्र जमा की जाएगी। सरकार ने कहा है कि जो भी किसान फसल बीमा का भुगतान करेगा उसको हर कीमत पे इसका लाभ मिलेगा। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने बताया कि खरीफ सीजन २०२२ में अप्रत्याशित बरसात व असमय बाढ़ से फसल बुरी तरह बर्बाद हुई है, बीमा कंपनी द्वारा तय की गयी आर्थिक सहायता के अनुरूप कार्य पूर्ण हो। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने बताया कि भारतीय कृषि बीमा कंपनी के माध्यम से 1.२४० करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड से २१३ करोड़ ७८ लाख रुपये, एचडीएफसी से ६ करोड़ ९८ लाख रुपये, यूनाइटेड इंडिया से १६६ करोड़ ५२ लाख रुपये एवं बजाज आलियांज से १६ करोड़ २४ लाख की धनराशि दी गयी है। किसानों के बैंक खाते में शेष धनराशि का भुगतान अतिशीघ्र शुरू किया जाए। हाल ही में बीमा कंपनियों द्वारा अभी तक १६ लाख ८६ हजार ७८६ किसानों को ६२५५ करोड़ रुपये वितरित किये हैं।

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कृषि मंत्री ने किसानों को पूर्ण आश्वस्त करते हुए बताया है कि जिन किसानों की फसल अतिवृष्टि एवं प्राकृतिक आपदाओं के चलते प्रभावित हुई है, सरकार उनको जल्द ही सहायता राशि प्रदान करेगी, जिससे उनको किसी आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े। बतादें कि कुछ किसानों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से फसलों में हुई हानि को सूचित किया है। जिसका सर्वेक्षण किया जा रहा है, उन्होंने यह भी बताया कि जो भी किसान यदि दो बार पंजीयन करेगा तो उसको किसी भी कीमत पर कोई पुनः राशि अदा नहीं की जाएगी। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार द्वारा बीमा कंपनियों को भी इस मामले में सतर्कता बरतने को कहा है। कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि आगामी 5 दिनों के अंतराल में जिन किसानों को हानि हुई जिनके खाते में बीमा की धनराशि भेज दी जाएगी।

ये कुछ लोग रहे उपस्थित

कृषि मंत्री ने इस सन्दर्भ में एक बैठक की, जिसमें भारतीय कृषि बीमा कंपनी समेत यूनाइटेड इंडिया कंपनी और बजाज आलियांज एचडीएफसी एरगो, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रतिनिधि शामिल रहे। बैठक के दौरान कृषि विभाग के उद्यानिकी निदेशक डॉ. केपी मोते, आईसीआईसीआई के पराग शाह, एचडीएफसी इरगो के सुभाशीष रावत, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के पराग मसले, मुख्य सचिव एकनाथ डावले, संयुक्त सचिव सरिता देशमुख बांडेकर सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।
किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

बतादें कि मौसमिक बदहाली के कारण किसानों की फसल चौपट हो गयी हैं, इस वजह से उनको फिलहाल सर्वाधिक फसल बीमा की आवश्यकता है। लेकिन सरकारों द्वारा ऐसी योजनाओं को समाप्त किया जा रहा है। निरंतर दो सीजन फसलों पर मोसमिक प्रभाव पड़ने की वजह से पैदावार में कमी आयी है। बीते खरीफ सीजन में बदहाल मौसम ने फसल को चौपट किया है और पिछले साल गेंहू की पैदावार में भी कमी आयी थी। ऐसे मोके पर सरकारों का दायित्व बनता है कि वह किसानों की इस संकट की घड़ी में भरपूर सहयोग करें। लेकिन सरकारें किसानों के हित में जारी की गयी बीमा योजनाओं को नकारते हुए उनके प्रति विपरीत भूमिका निभा रही हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=7Sqo7C2ljF4&t=1s[/embed]

कितने राज्य इससे जुड़े हैं ?

२०१६ में जारी के उपरांत २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना यानी पीएमएफबीवाई(PMFBY) के साथ २२ राज्य जुड़ गए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन में योजना के साथ जुड़े रहने वाले राज्य की संख्या घटकर १९ पर आ चुकी है। रबी सीजन के दौरान उसमें अब तक केवल १४ राज्य ही इस योजना के साथ जुड़े हैं। लघु , सीमांत व ऐसे किसानों के मध्य यह योजना काफी पसंद की जा रही थी, जिन्हें कर्ज मुहैय्या करने में बैंक बहुत परेशान करते हैं। इस योजना के २०१६ में लागू होने के उपरांत इस योजना के साथ जुड़ने वाले ऐसे किसानों का आंकड़ा २८२ प्रतिशत बढ़ा था। लेकिन जैसे-जैसे राज्य सरकारें इस बीमा योजना से बचना चालू कर रही हैं, इसकी वजह से योजना के साथ जुड़े हुए कृषकों की तादात में भी गिरावट आयी है। २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना के साथ भारत के २.१६ करोड़ किसान सम्मिलित हुए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन के दौरान किसानों की संख्या घटकर १.५३ करोड़ हो चुकी थी।


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जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

जानें भारत विश्व में फसल बीमा क्लेम दर के मामले में कौन-से स्थान पर है

भारत अमेरिका एवं चीन, विश्व के फसल बीमा प्रीमियम का 70% फीसद भुगतान करते हैं। दरअसल, अमेरिका व कनाडा में बीमा कंपनियों के संचालन एवं उनके समुचित प्रबंधन का खर्च अथवा भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इटली एवं कनाड़ा के उपरांत भारत में फसल बीमा क्लेम की तादात सर्वाधिक होती है। कृषि बीमा के प्रमुख एवं अंतर्राष्ट्रीय रीइंश्योरेंस एंड इंश्योरेंस कंसल्टेंसी एवं ब्रोकिंग सर्विसेज के वरिष्ठ सलाहकार कोल्ली एन राव द्वारा किए गए एक अध्ययन में विशेष बात सामने आयी है। अध्ययन में पता चला है, कि बीते सात साल के दौरान भारत में औसत फसल बीमा क्लेम दर 83% प्रतिशत था। जबकि इटली में 98% एवं कनाडा में यह 99% था। विशेष बात यह है, कि चीन और तुर्की के में फसल बीमा क्लेम दर सर्वाधिक कम था।
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अध्ययन के अनुसार, तुर्की एवं चीन में फसल बीमा क्लेम दर क्रमश: 55% एवं 59% था। यदि भारत की बात की जाये तो साल 2016 में, जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा वर्तमान क्लेम सब्सिडी-आधारित मॉडल को परिवर्तित कर दिया, तो भारत में फसल बीमा बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हो गया। बीते सात सालों में, बीमा कंपनियों ने प्रीमियम में 1,54,265 करोड़ रुपये लिए एवं क्लेम के रूप में 1,28,418 रुपये करोड़ का भुगतान हो कर दिया। इसकी वजह से उनको 83% प्रतिशत का क्लेम अनुपात प्राप्त हुआ है।

जानें क्लेम दर कितने प्रतिशत से ज्यादा थी

2016 एवं 2018 के मध्य, तमिलनाडु में प्रचंड सूखा की स्थिति बनी थी। जिसके चलते 8,397 करोड़ रुपये का क्लेम किया गया, जो कि 4,085 करोड़ रुपये के सकल प्रीमियम के 200% फीसद से ज्यादा था। इसी प्रकार, महाराष्ट्र में कृषकों को अत्यंत बारिश की वजह से 2019 में करीब 4,500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मिली, तब उनकी फसल पककर कटाई लायक हो चुकी थी। उन्होंने बताया कि कर्नाटक, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, तेलंगाना एवं ओड़िशा समेत बहुत सारे राज्यों के क्षेत्र में बदहाल मौसम की वजह से एक या अधिक वर्षों में क्लेम दर 100% फीसद से ज्यादा थी।

18 बीमा कंपनियों में से कितनी कंपनियों ने ऐसा करना किया बंद

अत्यंत आवश्यक समय के चलते, राव ने बताया है, कि पीएमएफबीवाई(PMFBY) सरकार हर एक मुख्य जनपदों में 50 से 100 लोगों को भेजती है। तकरीबन 2,500 करोड़ रुपये का प्रीमियम दर्ज करने वाली कंपनी के लिए, PMFBY हेतु लाभ-अलाभ बिंदु करीब 90% फीसद क्लेम का अनुपात है। उनका यह भी कहना है, कि 2020 से व्यापार काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है, इसलिए फसल बीमा विक्रय करने वाली 18 बीमा कंपनियों में से आठ ने ऐसा करना बिल्कुल समाप्त कर दिया है।
इस राज्य सरकार ने की घोषणा, अब धान की खेती करने वालों को मिलेंगे 30 हजार रुपये

इस राज्य सरकार ने की घोषणा, अब धान की खेती करने वालों को मिलेंगे 30 हजार रुपये

सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर प्रयत्नशील रहती है। इसको लेकर तामाम राज्य सरकारें अपने किसानों को अलग-अलग तरह की सहूलियतें मुहैया करवाती रहती हैं। फसल बर्बाद होने के एवज में राज्य सरकारें अपने किसानों को करोड़ों रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करवाती हैं। साथ ही, डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के माध्यम से किसानों को सीधे रुपये देती हैं, ताकि किसान भाई अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। इसी को आगे बढ़ाते हुए अब महाराष्ट्र की सरकार ने किसानों की मदद करने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र की सरकार ने ऐलान किया है, कि राज्य में धान की खेती करने वाले किसानों को अब बोनस दिया जाएगा। अब महाराष्ट्र सरकार धान की खेती पर 15 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर किसानों को बोनस देगी। यह आर्थिक रूप से पिछड़े किसानों के लिए बेहद अच्छा फैसला हो सकता है। इस खबर के बाद राज्य के किसानों के बीच खुशी की लहर है। किसानों का कहना है, कि बोनस के पैसों से किसान समय अपनी खेती के लिए बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीद सकेगा। जिससे किसानों को अपना उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

राज्य के किसानों को 30 हजार रुपये का बोनस देगी महाराष्ट्र सरकार

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में ऐलान किया है, कि राज्य के धान किसानों को अधिकतम 2 हेक्टेयर तक के धान उत्पादन के लिए प्रति हेक्टेयर 15 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इस हिसाब से 2 हेक्टेयर खेत में धान उत्पादन करने वाले किसान के लिए अधिकतम बोनस 30 हजार रुपये होगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, कि सरकार के इस निर्णय से राज्य के 5 लाख धान किसानों को फायदा होगा। इस तरह की घोषणाएं किसानों को काफी राहत प्रदान करने वाली हैं। क्योंकि इस साल महाराष्ट्र में भारी बरसात की वजह से धान की काफी फसल नष्ट हो गई थी। जिसके बाद धान किसानों के सामने आजीविका का बड़ा संकट उत्पन्न हो गया था। इस संकट से परेशान होकर बहुत से किसानों ने राज्य में आत्महत्या कर ली थी। लेकिन किसानों के हित में सरकार की इस घोषणा से किसान अब निश्चिंत होकर धान की खेती कर सकेंगे। इसके पहले महाराष्ट्र की सरकार ने अपने किसानों को अन्य तरह से सहायता मुहैया कारवाई है। पिछले महीने ही बीमा कंपनियों की तरफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 16 लाख 86 हजार 786 किसानों की मदद की गई थी। इस दौरान बीमा कंपनियों ने इन किसानों को 6255 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। इसके साथ ही कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा था, कि शेष नुकसान प्रभावित किसानों को 1644 करोड़ रुपये की राशि जल्द ही सीधे उनके खातों में भेजी जाएगी। सरकार ने कहा था कि जिन भी किसानों की फसलें खराब हुईं हैं, उन सभी किसानों को सहायता राशि मुहैया कारवाई जाएगी। राज्य में कोई भी किसान इससे वंचित नहीं रहेगा। इसके साथ ही, कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने बीमा कंपनियों के अधिकारियों से खरीफ की फसल की पूरी जानकारी ली थी। उन्होंने बीमा कंपनियों के अधिकारियों से प्राप्त सूचनाओं, पूर्ण अधिसूचनाओं की संख्या, लंबित अधिसूचनाओं की संख्या व निर्धारित मुआवजा के संबंध में बातचीत की थी।
फसलों के साथ पेड़ों का भी होगा अब बीमा, देखभाल के लिए सरकार से मिलेगी सब्सिडी

फसलों के साथ पेड़ों का भी होगा अब बीमा, देखभाल के लिए सरकार से मिलेगी सब्सिडी

आज के जीवन में किसानों के लिए पेड़ों का महत्व बढ़ता जा रहा है। इनसे न केवल लोगों को ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है बल्कि इन दिनों पेड़ किसानों के लिए कमाई का एक मुख्य साधन बनते जा रहे हैं। पेड़ों को लगाकर किसान भाई फल, फूल, औषधि, रबड़, तेल, चंदन, पशु चारा और लकड़ी का जबरदस्त उत्पादन कर रहे हैं और जमकर पैसा कमा रहे हैं। कई किसान अपने खेतों में विविधिता पूर्ण तरीके से खेत में फसल लगाते हैं। किसान अपने खेतों में तो खेती करते हैं लेकिन खेत की मेड़ों में फलदार यह औषधीय पेड़ लगा देते हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती है। अगर आज के युग की बात करें तो किसान अपने खेत की मेड़ों में पोपलर, महोगनी, सागवान, बबूल के पेड़ भी लगा रहे हैं। इन पेड़ों से किसान लड़की का उत्पादन करते हैं और उसे बाजार में बेंचते है। किसानों की इस प्रकार की खेती पर अब सरकार सहायता करने जा रही है। जल्द ही उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों को पेड़ों का बीमा करवाने की सुविधा देगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही उत्तर प्रदेश सरकार नई एग्रो फॉरेस्ट्री पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है। इससे किसानों को पेड़ों के बीमा का अलावा अन्य तरह के फायदे होंगे। यदि हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस राज्य में कृषि एक मुख्य व्यवसाय है। जिससे प्रदेश की ज्यादातर जनता जुड़ी हुई है। यहां पर बागवानी, औषधी, मसाला, सब्जी, फल और पेड़ों से लेकर घास तक की खेती होती है। इन फसलों पर मौसम की वजह से या जंगली जानवरों और कीटों के प्रकोप की वजह से नुकसान भी होता है। जिससे फसलों के हुए घाटे की भरपाई करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों का बीमा करवाती है। इससे किसान फसल में होने वाले आर्थिक नुकसान से बच जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश की सरकार हर किसान के खेत में लगे पेड़ों का नई कृषि वानिकी नीति के तहत बीमा करवाएगी। जिससे यदि किसी भी प्रकार के प्राकृतिक नुकसान के कारण किसानों के पेड़ों को क्षति पहुंचती है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनियों के द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही इस नई कृषि वानिकी नीति के तहत पौधों की रोपाई और पेड़ों से मिले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सरकार के द्वारा किसानों की मदद की जाएगी।

पेड़ों की खेती के लिए भी मिलेगी सब्सिडी

आजकल देश में बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों के कारण बाजार में लड़की की मांग तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए कृषि वानिकी नीति के तहत सरकार एक नया प्रावधान जोड़ने की तैयारी में है। इसके तहत वन विभगा किसानों को पौधे मुहैया करवाएगा। जिसमें व्यावसायिक महत्व वाले पौधे भी मुहैया करवाए जाएंगे। इन पेड़ों को अपने खेतों में लगाकर किसान भाई आसानी से इमारती लकड़ी के पेड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए आंवला जैसे पेड़, जामुन और आम सरीखे फलदार पेड़, औषधीय पौधे और अन्य वानस्पतिक किस्मों के पेड़ लगा सकते हैं। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी।
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पेड़ों से मिलने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में सहयोग करेगी सरकार

उत्तर प्रदेश की सरकार नई कृषि वानिकी नीति के तहत पेड़ों के बीमा, उत्पादन के साथ-साथ उनसे प्राप्त होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग में भी सहयोग करने वाली है। इसके तहत किसानों का उद्योगों एक साथ समन्वय स्थापित करवाया जाएगा ताकि किसानों को पेड़ों की लकड़ी या दूसरी उपज बेचने के लिए बाजारों के चक्कर नहीं लगाने पड़ें। इसके लिए प्रदेश में क्लस्टरों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही सरकार महंगे और कमर्शियल पेड़ों की देखभाल के लिए किसानों को सब्सिडी भी प्रदान करेगी ताकि किसानों के ऊपर पेड़ों की बागवानी का खर्चा भारी न पड़े।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने पहले लकड़ी आधारित उद्योगों को लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा रखी थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हटा दिया है। अब किसान बिना किसी चिंता के पेड़ों को अपने खेतों में लगा पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से किसानों के साथ-साथ लकड़ी कारोबार से जुड़े दूसरे हितग्राहियों को भी भारी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए अब उत्तर प्रदेश सरकार भी आगे आई है और सरकार आगामी कैबिनेट मीटिंग में कृषि वानिकी नीति पर आधारित ड्राफ्ट तैयार करके कैबिनेट के सामने प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही है।
इस राज्य में फसल को नुकसान होने पर सरकार प्रदान करेगी 7,500 रुपए प्रति हेक्टेयर पर

इस राज्य में फसल को नुकसान होने पर सरकार प्रदान करेगी 7,500 रुपए प्रति हेक्टेयर पर

आपको बतादें कि किसानों की फसल में अगर 20% फीसद तक हानि पाई जाती है। तो उनको सरकार की तरफ से 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर एवं 20% फीसद से ज्यादा की हानि हुई, तो 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायक धनराशि सीधे तौर पर किसानों के खाते में हस्ताँतरित कर दी जाएगी। कृषि एक ऐसा कार्य है, जिसकी पूर्णतया प्रकृति पर निर्भरता रहती है। प्रकृति की बेहतरीन गतिविधियों के माध्यम से फसलीय पैदावार काफी बढ़ जाती है, जिससे किसानों की बेहतरीन आमदनी होने की संभावना भी बढ़ती है। परंतु, विगत कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन की वजह से प्रकृति का संचालन भी परिवर्तित हुआ है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि वर्षा, ओलावृष्टि, आंधी अथवा अन्य वजहों से फसलों के अंदर बेहद हानि देखने के मिल रही है। आए दिन कीट, रोग, मौसमिक हानि से फसलें बर्बाद हो रही हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं से हो किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जारी की है, जिसमें किसानों की फसल हानि होने पर किसान की आंशिक पूर्ति की जाती है। विभिन्न राज्य सरकारें भी स्वयं स्तर पर बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। बिहार राज्य सरकार द्वारा भी फसल सहायता योजना चलाई हैं। जिसके अंतर्गत फिलहाल रबी सीजन की - ईख, राई-सरसों, आलू, प्याज, गेहूं, मकई, मसूर,अरहर, चने की फसल अधिसूचित की गई हैं।

कौन से किसानों को कैसा अनुदान दिया जाएगा

बिहार राज्य की फसल सहायता योजना के अंतर्गत किसान को एक से अधिक फसल के चयन की सुविधा प्रदान की गई है। इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने पर किसान को 2 हेक्टेयर भूमि पर ही फायदा प्राप्त होगा। नगर पंचायत/नगर परिषद क्षेत्र के कृषक भी इस योजना के लिए किसान भाई आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत आवेदक किसान की फसल में 20% प्रतिशत तक की हानि होने पर 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रावधान किया है। साथ ही, 20% फीसद से ज्यादा हानि होने पर 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायक धनराशि सीधे किसान के खातों में हस्ताँतरित कर दी जाएगी।

किन किसानों को मिलेगा फायदा

बिहार राज्य की फसल सहायता योजना के अंतर्गत बिहार राज्य का निवासी- रैयत एवं गैर-रैयत किसानों के अतिरिक्त आंशिक रूप में रैयत एवं गैर रैयत किसान भी आवेदन कर सकते हैं।
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इस योजना के अंतर्गत रैयत किसानों को अपडेटिड भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र/राजस्व रसीद एवं स्व घोषणा प्रमाण पत्र दर्ज करना आवश्यक है। गैर-रैयत किसानों को भी वार्ड सदस्य अथवा किसान सलाहकारों की तरफ से प्रति हास्ताक्षरित स्व-घोषणा पत्र पेश करना जरुरी है। रैयत एवं गैर-रैयत श्रेणी के अंतर्गत किसानों को अपडेटिड भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र/राजस्व रसीद एवं वार्ड सदस्य अथवा किसान सलाहकारों की तरफ से

हस्ताक्षरित स्व-घोषणा पत्र जमा कराना होगा।

फसल सहायता योजना के अंतर्गत चयनित ग्राम पंचायतों के आवेदक किसानों को प्रमाणीकरण के उपरांत डीबीटी के जरिए से आधार लिंक खाते में सहायक राशि हस्ताँतरित की जाएगी।

किसान भाई यहां करें आवेदन

अगर आप भी बिहार राज्य के किसान हैं, तब कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल या https://state.bihar.gov.in/Cooperative पर सीधे आवेदन कर सकते हैं। बिहार सरकार द्वारा ई-सहकारी मोबाइल एप्लीकेशन भी जारी किया गया है। किसान भाई अगर चाहें तो ज्यादा जानकारी प्राप्त करने हेतु विभागीय कॉल सेंटर (सुगम) के टोल फ्री नंबर- 180018000110 पर भी संपर्क साध सकते हैं। बिहार राज्य फसल सहायता योजना में 1 जनवरी 2023 से आवेदन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। किसान भाई यदि चाहें तो 31 मार्च 2023 तक Bihar DBT Portal पर सीधे आवेदन कर सकते हैं। इस समयांतराल में किसानों को अपनी फसल एवं बुवाई का क्षेत्रफल पता होना जरुरी है।
‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

किसानों के हित में सरकारें एक से एक योजनाएं ला रही है. इसी की तर्ज में छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर में एक खास अभियान की शुरुआत की गयी है. इस अभियान का नाम मेरी पॉलिसी मेरे हाथ है. बता दें आजादी के अमृत महोत्सव भारत 75 के तहत मेरी पॉलिसी मेरे हाथ नाम का अभियान शुरू हो चुका है. यह अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ मौसम साल 2022 की तरह ही 15 फरवरी से इस अभियान को शुरू किया गया है. वहीं कृषि विभाग के अनुसार ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ के अंतर्गत रबी सीजन 2022 से 2023 में ग्राम पंचायत स्तर पर जान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को क्रियान्वयक बीमा कंपनी इस फसल बीमा पॉलिसी को बांटेगी. ये भी देखें: PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

योजना से जुड़ने की अपील

इसके लिए कृषि विभाग द्वारा विरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समिति प्रबंधक आदिम जाति सेवा समितियों को निर्देशित किया गया है. साथ ही इस कार्य्रकम को सफल बनाने के लिए मौसम रबी 2022 से 2023 में जिन किसानों को बिमा हुआ है, उन्हें बीमा पत्रक बांटने के लिए योयोजना से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स क्रियान्वयक बीमा कंपनी से समन्वय करना होगा, इसके अलावा मेरी पॉलिसी मेरे हाथ अभियान को ग्राम पंचायत स्तर से सफल संचालन और प्रक्रिया के हिसाब से उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए गये हैं.